टैक्स सेविंग
स्वनियोजित के लिए टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट टिप्स
यह आश्चर्यजनक लग सकता है, लेकिन देश में स्वनियोजित लोगों की संख्या वेतनभोगी व्यक्तियों से अधिक है। 2013 में, आधे से अधिक...
लेख पढ़ेंआयकर अधिनियम 1961 के तहत, एक करदाता को कर अदा करने पर, विभिन्न छूटें और कटौतियां हासिल करने की अनुमति दी गयी है। आयकर रिटर्न दाखिल करते समय करदाता, इन कटौतियों पर अपना दावा जता सकता है। आयकर रिटर्न दाखिल करने के दौरान, कुल आय की गणना करते समय, कटौतियों को कुल आय में से घटा दिया जाता है। शेष कुल आय पर लागू दरों के अनुसार, करदाता द्वारा देय कर की गणना की जाती है। एक जानकर एवं जाग्रत करदाता, इन कटौतियों की गणना को समझता है, एवं अपनी निवेश योजना बनाकर, उन योजनाओं को टैक्स सेविंग के उद्देश्य अनुरूप ढालता है।
टैक्स सेविंग्स प्लान वह उत्पाद हैं, जिनके द्वारा निवेशक कर नियमों के तहत निवेश की गई राशि पर लाभ प्राप्त कर सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80C और 80D के तहत, एक व्यक्ति प्रीमियम भुगतान या निवेश पर कटौती हासिल करने का दावा कर सकता है। यह निवेश इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट और बांड में से किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। करदाताओं पर आयकर के बोझ को कम करने के लिए, भारतीय कर नियमों में टैक्स सेविंग के लिए विशिष्ट उपाय दिए गए हैं, जिनमें टैक्स सेविंग निवेश करना और उन पर कटौतियों के लिए दावा करना, सर्वाधिक मशहूर उपाय हैं।
सभी व्यक्ति अपना पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, चाहे वे वेतनभोगी पेशेवर हों, फ्रीलांसर हों या स्वरोजगारी व्यापारी इत्यादि हो। यह कमाई हुई आय, जब एक निश्चित सीमा के पार हो जाती है, तो उन्हें इस आय पर कर चुकाना होता है। ऐसे कई वित्तीय माध्यम होते हैं, जो टैक्स सेविंग करने में सहायक होते हैं। एक अच्छे टैक्स सेविंग निवेश की निशानी यह होती है कि, वह टैक्स सेविंग के साथ-साथ सुरक्षा, रिटर्न और लिक्विडिटी भी प्रदान करता है। एक आदर्श वित्तीय माध्यम, टैक्स सेविंग में सहायता करने के दौरान, आपको रिटर्न्स और फण्ड वापसी जैसे विकल्प के रूप में अन्य फायदे भी सुनिश्चित करता है। टैक्स सेविंग प्लान में निवेश करने से व्यक्ति के अंदर, वक्त के साथ बचत करने की अच्छी आदत भी विकसित होती है।
आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों में, विभिन्न तरीक़े निर्धारित किये गए हैं, जिनके ज़रिये टैक्स सेविंग की जा सकती है। इन प्रावधानों के अंतर्गत यह तरीके भी शामिल हैं, लेकिन टैक्स सेविंग के तरीके निम्नलिखित तक सीमित नहीं हैं।
धारा 80,80CCC और 80CCC (D) के तहत, एक साल में कुल 1.5 लाख तक की कर कटौती की अनुमति दी गयी है। इन धाराओं में साधारण जीवन योजना से लेकर हाइब्रिड यूलिप, एवं पेंशन योजनाओं समेत बड़ी संख्या में निवेश योजनाएं उपलब्ध हैं। आप इन में से किसी एक या एक से अधिक वित्तीय माध्यमों में निवेश करके, टैक्स सेविंग कर सकते हैं।
अगर आपको अपना होम लोन चुकाना है, तो इस स्थिति में भी धारा 24 के तहत, आप होम लोन के ब्याज पर कटौती के लिए दावा कर सकते हैं।
धारा 80E के तहत, आप शिक्षा ऋण के चुकाए गए ब्याज पर कटौती हासिल कर सकते हैं।
धारा 80G आप के द्वारा दान, सामाजिक संगठनों, राहत कोषों आदि में दी गयी राशि पर, कर कटौती की सुविधा उपलब्ध कराती है।
इस सब के पीछे एक बहुत ही सरल विचार है: अगर आपका पैसा एक अच्छे कार्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है, या आपके भविष्य के लिए निवेश किया जाता है, तो उसे कर लाभों के द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।
जैसा उल्लेखित है कि, तीनो धाराओं के तहत कुल 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति दी गयी है। इन धाराओं के तहत निम्नलिखित टैक्स सेविंग विकल्प आते हैं:
यूलिप, बीमा और निवेश का मिलाजुला रूप हैं। इसका मतलब यह की, पॉलिसी के लिए अदा किए गए प्रीमियम का कुछ हिस्सा बीमे को जाता है, एवं बचा हुआ हिस्सा, निवेशक की इच्छानुसार इक्विटी, कर्ज़ या मुद्रा बाजार के माध्यमों में निवेश कर दिया जाता है। यूलिप पांच वर्ष की अवधि के लॉक इन सूत्र से बंधी हुई होती है। यूलिपs धारा 80C के अंतर्गत आती हैं, इस पर उसी के कर नियम लागू होते हैं; कर योग्य आय से चुकाए गए प्रीमियम पर 1.5 लाख तक की कटौती हासिल की जा सकती है। इसका मतलब यह है की, जब तक आपकी कुल राशि 1.5 लाख रुपये तक नहीं पहुंचती, तब तक आप यूलिप में अपना निवेश बढ़ा सकते है, और आपका बढ़ाकर चुकाया गया प्रीमियम भी कटौती के दायरे में आएगा।
इसके साथ ही, यूलिप के तहत किये गए भुगतान पर, परिस्थितियों के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 10(10D) के तहत कर अदा करने पर छूट हासिल की जा सकती है, इन भुगतानो में डेथ बेनिफिट के साथ ही साथ पॉलिसी से आंशिक निकासी शामिल हैं। इसी प्रकार यूलिप पॉलिसी को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स से भी छूट प्राप्त होती है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम एक टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फंड पॉलिसी है, जिसमे निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में लगा दिया जाता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में 3 वर्ष की लॉक इन अवधि भी होती है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है, जो बाज़ार में निवेश करके जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं, और साथ ही साथ कर लाभ भी हासिल करना चाहते हैं। ईएलएसएस फंड में इक्विटी बाजार में बड़े निवेश के कारण भारी रिटर्न्स हासिल करने का मुख्य प्रोत्साहन बना रहता है।
ईएलएसएस फंड भी आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत आते हैं, यानी इसके ज़रिये आप कर योग्य आय में 1.5 लाख तक की कटौती हासिल कर सकते हैं। टैक्स सेविंग ईएलएसएस फण्ड की मुख्य विशेषताओं में से एक है। आपकी आय के कर-स्तर अनुसार, ईएलएसएस फंड आपको अधिकतम 46,800 रुपये की टैक्स सेविंग करवा सकते हैं।
नेशनल पेंशन स्कीम सरकार द्वारा प्रायोजित पेंशन स्कीम है, जो कि पेंशन के साथ ही निवेश योजना के रूप में भी काम करती है। इसके पीछे मुख्य विचार अपनी कमाई के वर्षों दौरान, लोगों को नियमित तौर पर निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि उनमें बचत करने की आदत उतपन्न हो सके। अंत में, रिटायरमेंट के समय निवेश द्वारा निर्मित कार्पस का एक हिस्सा आपको तुरंत हासिल हो जाता है। इसके बाद बचा हुआ फंड वार्षिक योजना में बदल दिया जाता है, जिसके जरिये आपको मासिक पेंशन का भुगतान किया जाता है। नेशनल पेंशन स्कीम द्वारा भी आप कर लाभ हासिल कर सकते हैं। कर्मचारी द्वारा फंड में स्वयं किये गए योगदान पर, आयकर अधिनियम की धारा 80CCD(1) के तहत कटौती प्राप्त की जा सकती है। यह कटौती अधिकतम तनख्वाह का 10 प्रतिशत हिस्से के रूप में हो सकती है। अगर निवेशक स्वरोजगारी व्यक्ति है तो यह कटौती 20 प्रतिशत तक हो सकती है।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C, 80CCC और 80CCD(1) के तहत, हासिल की गयी कटौतियों की कुल राशि 1,50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इसके साथ ही आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80CCD(1B) के तहत, नेशनल पेंशन स्कीम के अंतर्गत 50 हज़ार रुपये तक निवेश करने पर आप कटौती हासिल कर सकते हैं। यह स्वरोजगारी और वेतनभोगी, दोनों ही प्रकार के निवेशकों पर एक समान रूप से लागू होता है। हालांकि, इस धारा के तहत आप उस राशि पर कटौती नहीं हासिल कर सकेंगे, जिसपर धारा 80CCD(1) के तहत पहले ही कटौती हासिल की जा चुकी हो। साथ ही, मालिक द्वारा अपने कर्मचारी के नेशन पेंशन स्कीम में दिए योगदान को, धारा 80CCD(2) के तहत कर्मचारी की कुल तनख्वाह (मूल तनख्वाह + DA) के 10% हिस्से तक घटाया जा सकता है। केंद्रीय बजट 2020 के तहत, नियोक्ता अपने कर्मचारियों के PF, एनपीएस और पेंशन फंड में 7.5 लाख रुपये तक जमा कर सकता है।
पब्लिव प्रोविडेंट फंड (सार्वजनिक बचत योजना) टैक्स सेविंग का एक पारंपरिक माध्यम है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड, एक लंबी अवधि का निवेश विकल्प है, जो व्यक्ति को रिटायरमेंट के लिए फंड इकट्ठा करने में सहायता करता है। इस फंड को पोस्ट ऑफिस या अधिकांश बैंको के ज़रिए शुरू किया जा सकता है। एक पब्लिक प्रोविडेंट फंड की न्यूनतम अवधि 15 वर्ष की होती है। इसका मतलब इस अवधि से पहले, जमा राशि वापस नहीं निकाली जा सकती है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश सबसे कम जोखिम भरा होता है, क्योंकि इस योजना को केंद्रीय सरकार का सहयोग हासिल है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड विशेषकर उन निवेशकों द्वारा चुना जाता है, जो टैक्स सेविंग करना चाहते हैं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड के तहत, रिटर्न्स और ब्याज, दोनों पर ही टैक्स सेविंग की सकती है। फण्ड के ज़रिए निवेशक ज़्यादा छूट प्राप्त कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत, फंड में निवेश की गई जमा राशि ही नहीं, बल्कि निवेशक को उस पर हासिल होने वाले ब्याज पर लगने वाले कर में भी छूट हासिल होती है। इसी कारण, बचत की आदत डालने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड सबसे बेहतरीन तरीका है, साथ ही इसके ज़रिये आप, एक अच्छी ब्याज दर हासिल कर सकते हैं, जोखिम और बाजार की हलचल से बचते हुए, कई प्रकार से टैक्स सेविंग के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना एक छोटी बचत योजना है, जिसे केंद्रीय सरकार का सहयोग हासिल है। इस योजना के तहत अभिभावक, अपनी बेटी के नाम बैंक या पोस्ट ऑफिस में बचत खाता शुरू कर सकते हैं। यह योजना बड़े स्तर पर चल रहे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का हिस्सा है। यह योजना, पोस्ट ऑफिस की अन्य योजनाओं की तरह कार्य करती है, जहां हर तिमाही के लिए ब्याज दर की घोषणा की जाती है। अपनी बेटियों को कम उम्र से ही शिक्षित करने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित करना, इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना के तहत ब्याज दर लगातार 8 प्रतिशत से अधिक रही है।
इस योजना को EEE (छूट-छूट-छूट) का दर्जा हासिल है। इसका मतलब, सबसे पहले योजना में किया गया निवेश कर कटौती का पात्र है। धारा 80C के तहत 1.5 तक की कटौती हासिल की जा सकती है। दूसरा, इस निवेश पर आने वाले ब्याज पर भी आप कर कटौती का दावा कर सकते हैं। इसके बाद अंत मे, योजना के परिपक्व होने पर हासिल किए गए भुगतान पर भी आयकर छूट हासिल की जा सकती है।
National Savings Certificate is another fixed-income investment scheme backed by the government. NSC is akin to a savings bond. It encourages the investor to invest in it and earn interest at minimum risk. The maturity period of NSC is fixed at either 5 years or 10 years. NSCs are also covered under Section 80C of the Income Tax Act. This implies that investments in NSC up to a maximum amount of Rs 1.5 lakh can be claimed as deduction while computing income tax.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट के अंतर्गत, अर्जित ब्याज की गणना और चक्रवृद्धि वार्षिक अंतराल पर होती है। इसका मतलब निवेशक ब्याज पर लगने वाले कर पर भी छूट हासिल कर सकता है। इसके बाद आने वाले वर्षों में निवेशक, निवेश राशि और उस पर अर्जित ब्याज, दोनों पर ही टैक्स सेविंग कर सकता है।
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (वरिष्ठ नागरिक बचत योजना) एक और सरकार प्रायोजित बचत माध्यम है। यह योजना उन भारतीय नागरिकों के लिए है, जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है। इसका मुख्य उद्देश्य, देश के वरिष्ठ नागरिकों को रिटायरमेंट के बाद, वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के तहत, प्रति तिमाही ब्याज का भुगतान किया जाता है।
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम के तहत किये गए निवेश पर, आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कटौती हासिल की जा सकती है। इस योजना के तहत मिलने वाले ब्याज पर कर अदा करना पड़ता है। अगर वार्षिक ब्याज 50,000 रुपये की राशि पार कर जाता है तो, बैंक और पोस्ट ऑफिस धारा 194A के तहत, 10 प्रतिशत कर की कटौती कर सकते हैं। हालांकि, व्यक्ति की आय न्यूनतम सीमा से कम होने कि स्थिति में, प्रपत्र 15H के ज़रिए, बिना TDS कटवाए ब्याज राशि हासिल कर सकता है।
आयकर अधिनियम की धारा 194A के तहत, जो ब्याज NBFC और बैंको द्वारा जारी फिक्स्ड डिपॉजिट के ज़रिए अर्जित किया गया है, उस ब्याज पर 5 हज़ार/10 हज़ार रुपये की सीमा पार करने पर, कर अदा करना अनिवार्य है। अक्सर, इस ब्याज के स्रोत पर भी कर अदा करना पड़ता है। हालांकि, बैंको द्वारा ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट भी प्रदान किया जा रहा है, जिनके जरिये टैक्स सेविंग की जा सकती है। यह फिक्सड डिपॉजिट, 5 ईयर फिक्सड डिपॉजिट (पंच-वर्षीय सावधि जमा) कहलाते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत, इस प्रकार के फिक्सड डिपॉजिट में निवेश की गई राशि, कुल आय में से घटा दी जाती। यह राशि 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है। हालांकि, इस प्रकार के निवेश में आप पांच वर्ष की अवधि के लिए बंध जाते हैं, साथ ही इस निवेश पर मिलने वाले ब्याज पर कर भी अदा करना पड़ता है।
लाइफ इंश्योरेंस एक सरल वित्तीय माध्यम है, जो प्रीमियम के बदले, पॉलिसी होल्डर के लाभार्थी को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। पॉलिसी होल्डर की असमय मृत्यु की स्थिति में, यह मृतक के आश्रितों और परिवारजनों की आर्थिक सहायता करता है। लाइफ इंश्योरेंस के तहत प्रीमियम का किया गया भुगतान भी, आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कटौती हासिल करने का पात्र है। कटौती की राशि 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है। योजना के परिपक्व होने पर लाभार्थी को प्राप्त होने वाली राशि पर भी, परिस्थितियों के अनुसार, कर छूट जारी की जा सकती है।
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है, पेंशन योजनाएं वरिष्ठ नागरिकों की रिटायरमेंट के बाद कि पेंशनरी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनीं है। ऐसी योजनाएं, रिटायरमेंट के बाद व्यक्ति को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनी हैं। बाजार में रिटायरमेंट के बाद की ज़रूरतों के हिसाब से, कई पेंशन योजनाएं मौजूद हैं।
पेंशन योजनाओं में किया गया निवेश कर कटौती के लिए योग्य पात्र है, यह बिंदु लगभग सभी पेंशन योजनाओं को एक सूत्र से बांधता है। इसी कारण व्यक्ति अपने रिटायरमेंट की योजना, बिना कर अदा किये, बना सकता है। धारा 80C और 80CCC, विभिन्न पेंशन योजनाओं के फायदों के बारे में विस्तार से जानकरी प्रदान करते हैं।
लगभग 20 वर्ष से 30 वर्ष के बीच आयुवर्ग के अविवाहित युवा के तौर पर, आपको टैक्स सेविंग करने की अत्यधिक आवश्यकता है। खुशी की बात यह है कि, ऐसे युवा वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए कई टैक्स सेविंग्स प्लान हैं, जैसे कि:
1. टर्म इंश्योरेंस कवर, जिसकी सुनिश्चित राशि आपके वार्षिक वेतन की 15 से 20 गुना रकम के बराबर हो सकती है, जोकि न सिर्फ टैक्स सेविंग में आपकी सहायता करता है, साथ ही आपके प्रियजनों के भविष्य को भी सुरक्षित बनाता है।
2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (सार्वजनिक बचत योजना), जो आपको तीन स्तर से टैक्स सेविंग करने का अवसर प्रदान करती है।
3. बाजार से जुड़े निवेश विकल्पों में अपने वेतन का कुछ हिस्सा निवेश करके, आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं। बाजार से जुड़े इन निवेश विकल्पों में इक्विटी लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) शामिल हैं।
4. पेंशन फंड जैसे कि, नेशनल पेंशन फंड में निवेश करके आप, 50 हज़ार रुपये या अधिक की बचत कर सकते हैं।
5. धारा 80D के तहत, अपना और अपने माँ बाप का हेल्थ इंश्योरेंस करवाकर, आप 1 लाख रुपए तक बचा सकते हैं।
6. गृह सम्पत्ति में निवेश करके ब्याज राशि पर, अतिरिक्त 2 लाख तक की टैक्स सेविंग अर्जित करें।
अगर आप विवाहित है, एक बच्चे के अभिभावक है और पति-पत्नी के बीच केवल एक ही आय का स्रोत है, तो आपको अपनी निवेश वरीयताओं, अपने वित्तीय लक्ष्य और परिवार की ज़रूरतों के हिसाब से बदलना चाहिए। निम्नलिखित लक्ष्य-आधारित टैक्स सेविंग प्लान द्वारा ऐसा करना आसान है।
1. धारा 80C के तहत टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदकर, 1.5 लाख रुपये तक बचाइये और अपने प्रियजनों के भविष्य को सुरक्षित कीजिये।
2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (सार्वजनिक बचत योजना), जो आपको तीन स्तर से टैक्स सेविंग करने का अवसर प्रदान करती है।
3. बाजार से जुड़े निवेश विकल्पों में अपने वेतन का कुछ हिस्सा निवेश करके, आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं। बाजार से जुड़े इन निवेश विकल्पों में इक्विटी लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) शामिल हैं।
4. पेंशन फंड जैसे कि, नेशनल पेंशन फंड में निवेश करके आप, 50 हज़ार रुपये या अधिक की बचत कर सकते हैं।
5. धारा 80C के तहत, आप अपनी संतान की ट्यूशन फीस पर भी कटौती हासिल कर सकते है।
6. गृह सम्पत्ति में निवेश करके ब्याज राशि पर, अतिरिक्त 2 लाख तक की टैक्स सेविंग अर्जित करें।
7. एजुकेशन लोन के ज़रिए, अपनी संतान की उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त करें, जिसके बाद आप एजुकेशन लोन के ब्याज पर धारा 80E के तहत कटौती हासिल कर सकते हैं।
अगर आप विवाहित हैं, साथ ही आप और आपके जीवनसाथी, दोनों के ही द्वारा आय अर्जन किया जा रहा है तो, सही निवेश के ज़रिए आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं।
1. धारा 80C के तहत, टर्म इंश्योरेंस प्लान में निवेश द्वारा आप 3 लाख रूपये तक कि बचत कर सकते हैं।
2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (सार्वजनिक बचत योजना), जो आपको तीन स्तर से टैक्स सेविंग करने का अवसर प्रदान करती है।
3. बाजार से जुड़े निवेश विकल्पों में अपने वेतन का कुछ हिस्सा निवेश करके, आप टैक्स सेविंग कर सकते हैं। बाजार से जुड़े इन निवेश विकल्पों में इक्विटी लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) शामिल हैं।
4. पेंशन फंड जैसे कि, नेशनल पेंशन फंड में निवेश करके आप, 50 हज़ार रुपये या अधिक की बचत कर सकते हैं।
रिटायरमेंट के बाद, यह आवश्यक होता हो जाता है कि हम अपना ध्यान, आर्थिक मज़बूती और विशेष टैक्स सेविंग को बढ़ाने पर केंद्रित करें। वेतन जैसे आय के एक निश्चित स्रोत के न होने पर, हमारी बचत हमें रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने में अहम भूमिका अदा करती है।
1. वार्षिक भत्ते वाली योजनाओं का चयन करें, जो न केवल आपको आय का एक नियमित स्रोत प्रदान करतीं है, बल्कि साथ में टैक्स सेविंग में भी सहायक होती हैं। उदाहरण के तौर पर सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (वरिष्ठ नागरिक बचत योजना)।
2. बीमा कंपनियों द्वारा जारी विशेष वार्षिक उत्पाद योजनाएं भी रिटायरमेंट के बाद, नियमित आय का विकल्प देती हैं।
3. यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान भी रिटायरमेंट फंड का निर्माण करने के लिए अच्छा माध्यम हैं। साथ ही यह योजनाएं, धारा 80C के तहत टैक्स सेविंग में सहायक होतीं हैं और योजना के परिपक्व होने कर मुक्त भुगतान होता है।
परिवार संचालित व्यापार और उद्योग, कमाए गए राजस्व पर आयकर देने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। यह आयकर काफी अच्छी खासी रकम के रूप में भी जमा करना पड़ सकता है। इसी कारण, ऐसे व्यवसायियों को उपलब्ध कटौतियों और छूटों का भरपूर लाभ उठाना चाहिए, ताकि अपनी कंपनी कर के भार को कम किया जा सके।
1. कंपनी के कुल कर व्याय को कम करने लिए एक HUF की स्थापना की जाए।
2. मेडिकल/हेल्थ इंश्योरेंस के लिए अदा किए गए 25 हज़ार रुपये के प्रीमियम पर, धारा 80D के तहत कटौती का लाभ हासिल किया जा सकता है।
3. दान की गई राशि भी आपको कर लाभ दे सकती है।
आयकर अधिनियम 1961 में मौजूद विभिन्न धाराएं और उपधाराएँ, करदाताओं को अपने सालाना कर व्यय पर बचत करने का मौका देती हैं। हालांकि, धारा 80C, 80D, 80CCD(1B), और 24 (b) कुछ ऐसी धाराएं हैं, जो करदाताओं द्वारा अधिकतर इस्तेमाल की जातीं हैं।
हालांकि, सरकार द्वारा इन सभी योजनाओं में निवेश के लिए एक सीमा निश्चित की गई है, और इसके बाद आप प्रत्येक धारा के तहत कितनी रकम बचातें हैं, यह आपकी आय पर निर्भर करता है।
निम्नलिखित सूची उपरोक्त धाराओं के तहत निवेश और खर्च की परिसीमा को दर्शाती है, जिसका उत्तरदायित्व निवेशक स्वेच्छा से ले सकता है।
कटौती | अधिकतम राशि (रुपये) |
---|---|
सामान्य कटौती | 50,000 |
धारा 80C* | 150,000 |
धारा 80D | 25,000 |
धारा 80CCD(1B) एनपीएस | 50,000 |
धारा 24(b) | 200,000 |
कुल योग | 4,75,000 |
धारा 80C, 80CCC और 80CCD(1) के तहत, कुल कर कटौती का योग 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकता।
आपके वित्तीय पोर्टफोलियो में हेल्थ इंश्योरेंस का होना अत्यधिक आवश्यक है, क्योंकि आपातकालीन चिकित्सा स्थितियां आपकी आर्थिक स्थिरता बिगाड़ सकतीं हैं। हेल्थ इंश्योरेंस के फायदे केवल यहीं तक सीमित नहीं हैं। आयकर अधिनियम 1961, की धारा 80D के तहत, अपने लिए, अपने जीवनसाथी और बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए किए गए प्रीमियम भुगतान पर 25,000 रुपये तक कि कटौती का फायदा उठाया जा सकता है।
रोगनिरोधक स्वास्थ्य परीक्षण का सम्बंध उन स्वास्थ्य उपायों से है जिनकी सहायता से, रोगों और बीमारियों से शरीर को बचाया जा सकता है।
आप अपना, जीवनसाथी का, बच्चों का और माता-पिता का रोगनिरोधक स्वास्थ्य परीक्षण करवाने पर, धारा 80D के तहत, 5,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं।
एक व्यक्ति अपने लिए, जीवनसाथी के लिए और माँ बाप के साथ अपनी आश्रित सन्तान की बीमा की राशि पर, 25 हज़ार रुपये तक कि छूट प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त, माता-पिता के हेल्थ इंश्योरेंस पर भी कटौती हासिल की जा सकती है। अगर अभिभावकों की उम्र 60 वर्ष से कम है, तो 25 हज़ार तक कि कटौती की अनुमति है, वहीं अभिभावकों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होने पर कटौती की राशि 50 हज़ार तक हो सकती है।
विकलॉन्ग आश्रित की चिकित्सा, स्वास्थ्यलाभ और प्रशिक्षण हेतु खर्च राशि, धारा 80DD के तहत आती है। 80DD धारा के तहत, 40 से 80 फीसदी विकलॉन्ग के स्वास्थ्यलाभ पर किये गए खर्चे पर, 75 हज़ार तक कि कटौती प्राप्त की जा सकती है। अगर आश्रित की विक्लांगता अत्यधिक गम्भीर है, तो कटौती की राशि 1.25 हज़ार रुपये तक बढ़ाई जा सकती है।
इस कटौती के नियम, परिस्थिति के अनुसार अलग अलग हैं।
अगर व्यक्ति या HUF की आयु 60 वर्ष से कम है, तो 40 हज़ार तक कि कटौती हासिल की जा सकती है। यह कटौती तब हासिल की जा सकती है, जब रकम व्यक्ति या उसके आश्रित के निर्दिष्ट बीमारी से इलाज में व्यय हुई हो। HUF के मामले में, यह कटौती तभी सम्भव है, जब HUF के किसी सदस्य का निर्दिष्ट बीमारी के इलाज में राशि खर्च हुई हो।
वरिष्ठ और अति वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 1 लाख तक की कटौती हासिल की जा सकती है। इससे पूर्व, वरिष्ठ और अति वरिष्ठ नागरिकों के मामलों में अलग अलग नियम लागू होते थे।
प्रतिपूर्ति दावे के मामलों में, अगर बीमाकर्ता या नियोजक द्वारा प्रतिपूर्ति का दावा पेश किया जाता है तो, कटौती की राशि भी उसी अनुपात में कम कर दी जाती है। इसके साथ ही, मुकम्मल दस्तावेज और दवाओं के सही पर्चे भी पेश करना ज़रूरी होता है।
अधिकतम टैक्स सेविंग करना, कर नियोजन का मुख्य लक्ष्य होता है। चूंकि, टैक्स सेविंग के लिए निवेश विकल्पों की संख्या काफी है, इस कारण एक ऐसा निवेश पोर्टफोलियो विकसित करना ज़रूरी हो जाता है, जिसके द्वारा उपलब्ध सभी कर कटौतियों का फायदा उठाया जा सके।
इसके तहत, सबसे पहले धारा 80C का पूर्ण उपयोग करना ज़रूरी है। ऊपर दी गयी निवेश योजनाओं के ज़रिए, एक या अधिक माध्यमो में निवेश करें, जिस की सहायता से आप 1.5 लाख रुपये की कर कटौती हासिल कर सकें। धारा 80C, 80CCD(1) और 80CCC को मिलाकर, अधिकतम इतनी ही कटौती हासिल की जा सकती है।
धारा 80D के तहत, स्वयं के, जीवनसाथी के और आश्रित सन्तान के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए किये गए योगदान पर 25 हज़ार की कटौती का दावा कर सकते हैं। साथ ही माता-पिता के बीमा पर 25 हज़ार की अतिरिक्त कटौती का दावा भी किया जा सकता है। कटौती की यह राशि, माता-पिता के वरिष्ठ नागरिक होने की स्थिति में, 50 हज़ार तक बढ़ सकती है। इससे 25 हज़ार की कटौती के अलावा, धारा 11D में बतायी गयी बीमारियों के इलाज में हुए व्यय पर, 40 हज़ार रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा किया जा सकता है।
आपके कर्ज़दार की जानकारी, आपको और भी अधिक कटौतियां हासिल करने में सहयोग कर सकती है। धारा 80EE और 80E के तहत, होम लोन और उच्च शिक्षा के लोन पर अदा होने वाली ब्याज राशि पर भी कटौती का दावा किया जा सकता है।
सबसे पहले, आपकी कुल आय को ध्यान में रखा जाता है और इसमें से सभी कटौती / छूटों को घटा दिया जाता है, फलस्वरूप जो राशि सामने आती है वह शुद्ध आय होती है, इसी राशि पर आयकर की गणना की जाती है, जो हर साल केंद्रीय बजट में आयकर स्लैब के आधार पर घोषित की जाती है।
आप कितना टैक्स बचा सकते हैं यह आपके वित्तीय पोर्टफोलियो और प्रोफाइल पर निर्भर है। टैक्स सेविंग के लिए सबसे आम विधि सेक्शन 80C है, जो आपको आपकी कर योग्य राशी में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति देता है। इसका मतलब यह है कि आप एक साल में टैक्स के रूप में 46,800* रुपये तक बचा सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है, कि आप किस इनकम टैक्स स्लैब से संबंधित हैं। इसी तरह, ऋण पर ब्याज, स्वास्थ्य बीमा आदि जैसे अन्य रास्ते भी एक निश्चित राशि पर कटौती प्रदान करते हैं।
आप इन कर-मुक्त निवेशों में से चुन सकते हैं: एक विस्तृत सूची नहीं है, लेकिन इसमें इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), जीवन बीमा योजना, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप), सुकन्या समृद्धि योजनाएं शामिल हैं,वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), टैक्स सेविंग बैंक एफडी।
सबसे पहले, अपनी कर योग्य आय को कम करने के लिए धारा 80C के तहत किए गए निवेश साधनों में 1.5 लाख रुपयों का निवेश करें। होम लोन / एजुकेशन लोन पर भुगतान किए गए ब्याज के लिए यदि कोई कटौती हो, तो दावा करें। एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी प्राप्त करें और अन्य चिकित्सा व्यय जैसे निवारक चिकित्सा स्वास्थ्य जांच, विकलांग आश्रित रिश्तेदार के पुनर्वास पर व्यय, आदि के लिए दावा करें। मुख्य रूप से, यह पता लगाना चाहिए कि आपके बड़े वित्तीय लक्ष्यों के साथ कौन से कर बचत के रास्ते फिट हैं और उनमें निवेश करें।
धारा 80C के तहत कर योग्य आय से कटौती का लाभ एकत्र करने के निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है।
एक वित्तीय पोर्टफोलियो में किसी व्यक्ति द्वारा कर-मुक्त निवेशों की संख्या सीमित नहीं है। हालांकि, इस उद्देश्य के लिए कोई भी उपकरण कितना उपयोगी हो सकता है यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसकी एक सीमा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि विशिष्ट साधनों के लिए दावा की जा सकने वाली कटौती राशि, अधिकतम मूल्य पर सीमित है। साथ ही, अपने वित्तीय पोर्टफोलियो को संतुलित रखें, ताकि यह सुरक्षा, रिटर्न और तरलता भी प्रदान करे।
सर्वप्रथम, धारा 80C के तहत दी जाने वाली 1.5 लाख रुपये की कटौती का उपयोग करें। यह अन्य निवेशों के साथ जीवन बीमा प्रीमियम, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप), सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश करके किया जा सकता है।
दूसरा, स्वास्थ्य बीमा और अन्य चिकित्सा व्ययों में उपलब्ध कटौतियों का उपयोग करें। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80D के तहत, स्वयं और परिवार, यानी जीवनसाथी और बच्चों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए, भुगतान किए गए प्रीमियम के संदर्भ में एक वर्ष में 25,000 रुपये तक की कटौती की जा सकती है। इसमें 5000/- रुपये तक की निवारक स्वास्थ्य जांच भी शामिल हो सकती है। धारा 80D के तहत, आप 25,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती का दावा भी कर सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा के लिए 25000/- रुपये (वरिष्ठ नागरिक होने की स्थिति में 50,000 रुपये) कि कटौती का दवा कर सकते हैं।
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C में किये गए प्रावधानों के तहत, विभिन्न कटौती और छूट प्रदान की गई हैं, जैसे कि, धारा 80D के तहत कटौती का दावा स्वास्थ्य बीमा के भुगतान के लिए किया जा सकता है। धारा 80EE के तहत, गृह ऋण ब्याज पर 50,000 रुपये तक की कटौती का दावा किया जा सकता है। धारा 80 G आपके द्वारा धर्मार्थ संस्थानों को दिए गए किसी भी दान को, कटौती के रूप में स्वीकार है, जो उसमें निर्धारित शर्तों के अधीन है।